दोस्त ने दर्द बढ़ा दिया,
जो चुप थे खामोशी में,
वो आवाज बन के चमका दिया।
ज़ख्म छुपाने के बहाने,
हर लफ़्ज़ ने दिल को छिड़का,
साफ़ बोलना अब गुनाह समझा,
सच की सदा गुनाह बन गया।
दिल के ज़ख्म के साये तले,
मुक्ति की तलाश में हम,
सच के रास्ते पे चलना,
है मुश्किल, भी पर ज़रूरी हम।
ये दुनिया है नफ़रत के संग,
जहाँ सच भी कभी दर्द देता है,
फिर भी दिल से पूछो तो,
सच ही वो राह है जो जीता है।"
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